युवाओं! सज्जनों! आर्यों! आर्य समाज पर, ऋषि दयानंद की वाटिका पर आक्रमण दर आक्रमण हो रहे हैं.
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क्योंकि छोटीमाता में अधिक अप्रधान आक्रमण दर है, अतः छोटीमाता से आसानी से प्रभावित होने वाले लोगों को संक्रमण से ग्रस्त मरीजों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
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अब यह क्या कहना पड़ेगा कि जब बड़ों से नीर क्षीर करने की अपेक्षा हो तो वे केवल मानसरोवर के तट से ही वापस क्यों हो लें? यह तो वही दृश्य हुआ जब विदेशी आक्रान्ता भारत भूमि पर आक्रमण दर आक्रमण कर रहे थे तो महात्मा बुद्ध के अनुयायी बुद्धम शरणं गच्छ का नारा लगाते तटस्थ हो वन विचरण करने लग गए थे-किसी भी सरोकार से कटे, बिलकुल अलग थलग-ऐसे में तो भारत को गुलाम बन ही जाना था. और दुर्भाग्य से वह बना भी......